'षडयंत्र'....... यानी की साज़ीश....... अच्छाई और बुराई के बीच, लड़ाई की एक बेमिसाल, दिल को छू लेेने वाली अंगारों भरी कहानी, जहां बुराई द्वारा अच्छाई को फंसाने के लिये जाल पे जाल बिछाये जाते हैं। राज दिवेकर एक इमानदार पुलिस अफसर है, जो कि उस इलाके के गुनाह के बादशाह भवानी चैधरी की एक साज़ीश का शिकार हो जाते हैं। सिंघल एक भ्रष्ट पुलिस अफसर और भवानी चैधरी का साथी, जो उसके हर बुरे काम में मदद करता है। शोभा, राज दिवेकर की पत्नी एक सच्ची पत्रकार है, जो किसी भी अन्याय को सहन नहीं करती। देवा, राज का छोटा भाई, जो उसी के कदमों पर चल कर गुनाहगारों को सजा दिलवाने के लिए पुलिस में भरती हो जाता है। तबरेज़, एक अनाथ लेकिन अब नवजवान है, जिसे शोभा ने पाल पोस कर बेटे की तरह बड़ा किया। उसी मोहल्ले में एक सीधे-साधे शिक्षक उसमान मास्टर भी अपनी जवान लड़की बिलक़ीस के साथ रहते हैं। बिलक़ीस, तबरेज़ को दिलो जान से चाहती है। लेकिन एक मुसलमान लड़की होने के नाते अपना प्यार तबरेज़ पर जाहीर नहीं करती।
इन्हीं परिस्थितियों के बीच घटनाक्रम में उसमान मास्टर का कत्ल हो जाता है। और बिलक़ीस भवानी चैधरी के जाल में फंसकर अपनी इज़्ज़त खो बैठती है। जैसा पिता वैसा पुत्र, अनील, जोकि भवानी चैधरी का बेटा है, अपने तीन साथियों के साथ एक बैंक लुटता है, और उस गुनाह के लिए भवानी चैधरी सिंघल की मदद से (जो अब शहर कोतवाल है) चार अन्य गरीब लड़कों को फंसा देता है। देवा जो इस वक्त नौकरी से बर्खास्त हो चुका है, अपनी नौकरी वापस पाने के लिए सिंघल का कहा मान लेता है और उन चार गरीब लड़कों को कोर्ट में पेश कर देता है। शोभा को जब यह बात मालूम होती है तो खुलकर इस अन्याय के खिलाफ आवाज़ उठाती है। इसी दौरान तबरेज़ जो कि अब खुद एक पुलिस अफसर है, टेªनिंग से वापस आता है, तो अपने आपको एक अजीब चक्रब्यूह में फंसा हुआ पाता है। देवा कानून की नज़र में गुनाहगार है, क्यों शोभा का अगवा हो चुका है, क्यों शोभा के बेटे चिंटू का खून हो चुका है, क्यों चार बेगुनाह लड़के सलाखों के पीछे हैं, क्यों? बिलक़ीस लापता है, षडयंत्र के बाद षडयंत्र में कोन किसका शिकार होता है, क्या झूठ और बुराई के ऊपर सच्चाई और ईमानदारी की विजय होती है या नहीं?
इन सारे सवालों के जवाब..... षडयंत्र और केवल षडयंत्र में।
(From the official press booklet)