अभिनय से प्यार एक चीज़ है और प्यार का अभिनय दूसरी I फ़िल्मों में दोनों की ही ज़रूरत होती है और
मीना कुमारी के पास ये दोनों ही आर्ट थे जिन्होनें उसे सफल अभिनेत्री बनाया I लेकिन इन दोनों के अलावा भी उसके पास एक और चीज़ थी, ‘प्यार करने की कला से प्यार’ और इसी ने उसे ज़िंदगी में गुमराह कर दिया I
उसके पास एक और चीज़ थी, ‘प्यार करने की कला से प्यार’ और इसी ने उसे ज़िंदगी में गुमराह कर दिया I
मैं उस की ज़िंदगी में उस वक्त आया, जब वह अपने इस शौक की कुछ सीढ़ियां ऊपर चढ़ चुकी थी I
कमाल अमरोही से उसका प्यार शादी की शक्ल अख़्तियार कर चुका था I शादी चोरी छिपे हुई थी और खुले आम अपने पति के पास जाकर रहना उन्होनें अभी शुरू नहीं किया था I मेरे ख्याल से उसी वक्त उसे अहसास हुआ कि शादी का कदम उसने जल्दबाज़ी में उठा लिया है I
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बैजु बावरा’’ (1952) शुरू हो चुकी थी और सेट पर दिन रात का साथ हमें बहुत करीब ले आया था इसिलिए स्वाभाविक था कि मदद के लिए वो मेरी तरफ देखती I
कानून उसकी कोई सहायता नहीं कर सका I मामला कुछ ऐसा ही पेचीदा था I इधर उसके पिता की बंदिश उस पर और सख़्त होती जा रही थी I उन्होंने गरीबी में दिन काटे थे और अब, जब बेटी सोने की चिड़िया साबित होने को थी, वे डरने लगे थे कि कहीं वो उड़ ना जाए I इन दोनों ही बातों ने उसके सामने एक ही रास्ता खुला छोड़ा था – वह पति के पास चली जाए I
वह पिता के घर से ना जाती तो भी हमारा साथ लंबा चलने वाला नहीं था I किसी भी स्त्री पुरूष का साथ विवाह के पवित्र धागे में बंधे बिना स्थायी रूप नहीं ले सकता, और मैं पहले से ही विवाहित था......
उसकी ज़िंदगी की एक ट्रेजेडी यह भी रही कि प्यार करने के शौक में या सहारे के लिए, जब भी उसने हाथ बढ़ाया, ज़्यादातर किसी शादीशुदा की ही तरफ.....
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बैजु बावरा’’ हिट फिल्म थी और हिट फिल्म की जोड़ी अक्सर कईं फिल्मों के लिए ली जाती है I इस फिल्म के बाद मीना, कमाल अमरोही के पास चली गई थी I उस वक्त कमाल साहब ने बहुत सी चीजें बर्दाश्त कर लीं लेकिन उन्हे यह बर्दाश्त नहीं था कि कोई प्रोड्युसर डायरेक्टर मीना के साथ मुझे हीरो लें I मशहूर प्रोड्यूसर डायरेक्टर
एल. वी. प्रसाद इन्हीं दिनों हम दोनों को लेकर एक फिल्म बनाने के लिए बड़े उत्साह से आए थे I उनके समेत हर प्रोड्यूसर कमाल साहब से इंकार पाकर लौटता रहा और बैजु की हिट टीम फिर कहीं नहीं के बराबर ही आयी I हम दोनों अलग अलग अपने अपने क्षेत्रों में बिज़ी हो गये I
भाग्य की विडंबना ही समझता हूं कि फिल्म जगत में एक साथ मशहूर होने, नज़दीक आने और फिर ज़िंदगी के उतार चढ़ाव देखने के बाद हम दोनों बांदरा की एक ही बिल्डिंग में ऊपर नीचे के फ्लैटों में रहने पहुंच गए I
समय गुज़रता गया और नये नये नाम मीना के संदर्भ मे सुनने में आते रहे, किसके साथ उसके संबंध कहां तक रहे, मैं क्या कहूं लेकिन मैं इसे भाग्य की विडंबना ही समझता हूं कि फिल्म जगत में एक साथ मशहूर होने, नज़दीक आने और फिर ज़िंदगी के उतार चढ़ाव देखने के बाद हम दोनों बांदरा की एक ही बिल्डिंग में ऊपर नीचे के फ्लैटों में रहने पहुंच गए I उसका बेडरूम मेरे बेडरूम के ठीक ऊपर है और जब वह बीमार थी, रात के 2-2 बजे तक उसके कमरे की हलचलों से मैं जान लेता था, उसे कितनी तकलीफ है I ये बातें मुझे बहुत दुखी करती थी, पुराना साथ याद आता था लेकिन जब भी मैं तबीयत का हाल पूछने गया, उसके साथ जुड़े किसी नाम की उपस्थिति या इंतज़ार ने यही अहसास कराया कि में गलत समय पर आ गया हूं….
अब यह भी कोई छिपी हुई बात नहीं है कि शराब की लत उसे ले डूबी I उसकी शराबनोशी के किस्से मैंने जब भी सुने मुझे भोली-भाली शक्ल़ वाली वह मीना याद आती रही जो शराब के सख्त ख़िलाफ थी, जिसे इससे नफरत थी और जो मुझे ‘बैजू बावरा’’ के सेट पर बक़ायदा लेक्चर दिया करती थी I उसी मीना को पीने की बढ़ी हुई आदत की बात मुझे चौंकाती नहीं है I बचपन में वह प्यार को तरसी, जवानी में पांव धरते ही प्यार के नाम से ठगी गयी, फिर कहीं से सच्चा प्यार पाने की प्यास के लिए हर किसी को भरपूर प्यार बांटती रही, बिना यह सोचे की कौन कितने के लायक है और अनजाने ही प्यार करने की कला के प्यार में ऐसी उलझती चली गई कि उसे रोग ही बना बैठी....
बचपन में वह प्यार को तरसी, जवानी में पांव धरते ही प्यार के नाम से ठगी गयी, फिर कहीं से सच्चा प्यार पाने की प्यास के लिए हर किसी को भरपूर प्यार बांटती रही, बिना यह सोचे की कौन कितने के लायक है और अनजाने ही प्यार करने की कला के प्यार में ऐसी उलझती चली गई कि उसे रोग ही बना बैठी....
बदले मे मिला क्या ?? हर किसी ने उसे क्षणिक सुख की साथी बनाया, उसके नाम का फायदा उठाया और अपनी राह आगे बढ़ गया, वह अपने लिए कोई रास्ता नहीं पा सकी I तब अगर फ्रस्टेशन के किसी गहरे क्षण में उसने ग़म डुबाने को प्याला उठा लिया तो क्या ताज्जुब!! किसी ने उसे नहीं बताया कि शराब ने आज तक कोई ज़ख्म नहीं भरा I
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भारत भूषण
(Reproduced from
Madhuri, Special Meena Kumari Issue, August 1972)