फक़ीर बादशाह कहानी है एक ऐसे इन्सान की जिसका बचपन अनाथ आश्रम से शुरू होकर भिखारियों की गन्दी गलियों से गुजरता है और जवानी उसे एक नया नाम देती है "फक़ीर बादशाह".
फक़ीर बादशाह जिसके पैदा होने से पहले ही उसके बाप का नाम उससे दूर हो जाता है और पैदा होते ही उसकी माँ दुनिया के अन्धेरों में खो जाती है. माँ जो एक अन्धी भिखारिन के नाम से जानी जाती है और बाप जो दूसरी शादी करके जिल्लत की जिन्दगी जी रहा है पहली औरत को धोखा देने की सजा उसे दूसरी औरत दे रही है जिसे वह कुदरत का इन्साफ समझता है.
लेकिन यह इन्साफ करता है फक़ीर बादशाह - उन लोगों से बदला लेकर जिन्होंने उसके माँ-बाप को ऐसे मुकाम पर लाकर खड़ा कर दिया.
उन लोगों से बदला लेकर जिन्होंने उसकी माँ की आंखें निकाल कर भीख मांगने पर मजबूर किया.
उन लोगों से बदला लेकर जो मासूम बच्चों को उठा कर हंसते खेलते घरों को बरबाद करके उनके चिराग को सिर्फ एक ही नाम देते हैं "भिखारी भिखारी भिखारी".
इन भिखारियों को उन दरिन्दों के पंजों से छुड़ा कर वह एक आश्रम बनाना चाहता है ताकि उन्हें जीने की राह दिखा सके और उन बिछड़े हुए बच्चों को उनके माँ-बाप से मिला सके.
1. क्या फक़ीर बादशाह यह आश्रम बना पाता है.
2. क्या उन लोगों के घर आबाद करवाता है जिनके घरों के चिराग बुझ चुके हैं.
3. क्या वह अपनी माँ की आंखों की रौशनी और उसकी जिन्दगी के रूठे हुए दिन वापिस दिलाता है.
4. क्या वह अपने उस बाप को माफ करता है जो उसके पैदा होने से पहले ही उसकी माँ को गन्दी गलियों में पनपने के लिये छोड़ जाता है.
इन सब सवालों का जवाब जानने के लिये देखिये शाही आर्ट्स का "फक़ीर बादशाह".
(From the official press booklet)