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Main Chup Rahungi (1962)

  • LanguageHindi
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गायत्री:

मैं जब टीचर्स टेªनिंग का कोर्स पास करके अपने गाँव बसंपूर लौट रही थी तो टेªेन में मेरी कमल बाबू से मुलाक़ात हुई - हमें एक दूसरे से प्रेम हो गया - लेकिन जब मुझे पता चला कि कमल बाबू ज़मींदार साहब के लड़के हैं तो मैं बड़े संकट में पड़ गई - कमल बाबू ने मुझे ढ़ारस बँधायी - हम दोनों ने छुपकर पहाड़ी वाले मन्दिर में शादी कर ली - लेकिन भाग्य में जुदाई लिखी थी - कमल बाबू को सिंगापुर जाना पड़ा - सिर्फ किस्मत ही नहीं............

ज़मींदार रतनकुमार:

........मैं भी इस शादी के खिलाफ था - इस शादी से मेरे खानदान की इज्ज़त मिट्टी में मिल जाती - पहले तो मैंने गायत्री को डाँटा डपटा लेकिन जब वो न मानी तो मैंने झोली फैलाकर उस से अपनी इज्ज़त की भीख माँगी - मेरे एहसानों में दबी हुई निस्सहाय गायत्री ने मुझे कमल से न मिलने का और इस शादी को गुप्त रखने का वचन दे दिया - मेरे खानदान की इज्ज़त बच गई.........

नारायण:

.........लेकिन मेरी इज्ज़त मिट्टी में मिल गई - मेरी बेटी गायत्री एक बच्चे की माँ बनने वाली थी - लोक लाज के डर से मैं उसके बच्चे को पैदा होते ही अनाथ आश्रम में छोड़ आया, जो कि ज़मींदार साहब ने अनाथ बच्चों के लिये बनवाया था - मैंने गायत्री से झूठ बोल दिया कि उसका बच्चा पैदा होते ही मर गया - बेचारी गायत्री चीख उठी.........

कमल:

.......मैं भी चीख उठा, क्यूँकि सिंगापुर से लौटने पर मुझे गायत्री न मिली - सिर्फ उसकी पाप भरी कहानी सुनने को मिली - मेरे जीवन में कोई उत्साह न रहा - मुझे औरत ज़ात से नफ़रत हो गई मैं दुनिया से भाग जाना चाहता था - मैं अपने आपसे भाग जाना चाहता था लेकिन.............

श्याम:

"डूबते को तिनके का सहारा" - मेरे जैसे अनाथ के लिये भगवान ही माता-पिता थे - उन्हीं दिनों मेरे स्कूल में एक नई टीचर आई - वो मुझे बहुत प्यार करती थीं यहाँ तक कि वो मुझे अपने घर ले जाना चाहती थी लेकिन मैं अपने लँगड़े दोस्त भोला को अकेला छोड़कर न गया - छोटे ज़मींदार जी भी, जो कि मेरे स्कूल का सालाना जल्सा देखने आये थे मुझे बहुत प्यार करने लगे......मेरे दोस्त भोला ने कृष्ण कन्हैया के पास जाकर मुझे न सिर्फ़ एक माता और एक पिता भेजे बल्कि एक नाना और एक दादाजी भी भेज दिये..........

(From the official press booklets)