हिन्दी सिनेमा के स्वर्णिम 1931 से 1970 के बीच हजारों ऐसे मधुर गीतों की सर्जना हुई है जिनकी मिठास और अनुभूति की प्रखरता को युगों-युगों तक महसूस किया जाता रहेगा। उस युग में प्रदीप, भरत व्यास, शकील बदायुंनी, साहिर लुधियानवी, मजरूह सुल्तानपुरी, राजेन्द्र कृष्ण और कैफी आजमी सरीखे फिल्मी गीतकारों ने सीधे सरल शब्दों में ऐसे मधुर गीतों की रचना की जो देखते ही देखते हर किसी की जुबान पर चढ़ गए और सुख दुःख के क्षणों में उनके सहभागी बन गए।
दुःख और आश्चर्य का विषय यह है कि जिस फिल्म इंडस्ट्री ने इन गीतों को जन्म दिया, वहीं इन्हें सहेजने में नाकारा साबित हुई। अधिसंख्य फिल्मी गीतकार, संगीतकार, गायक और गायिकाएं भी व्यक्तिगत तौर पर अपने सम्पूर्ण गीतों का संकलन नहीं रख सके। मोशन पिक्चर सोसायटी, फिल्म फेडरेशन, राष्ट्रीय फिल्म अभिलेखागार और पूना फिल्म इंस्टीट्यूट जैसी फिल्मों से जुड़ी तमाम संस्थाएं भी फिल्मी गीतों के इतिहास को सुरक्षित किए जाने के बारे में कभी गम्भीर नहीं रही।
ऐसी परिस्थितियों के बीच हिन्दी सिनेमा के स्वर्णिम युग 1931 से 1970 के मध्य निर्मित 4337 फिल्मों के लगभग 36000 गीतों को संकलित करने का दुष्टकर काम कानपुर के 37 वर्षीय हरमंदिर सिंह ’हमराह’ ने किया।
Geet Kosh Volume 2. Image Courtesy: Cinemaazi Archive
हरमंदिर ने निश्छल और समर्पण भाव से ’हिन्दी फिल्म गीत कोष’ के 2832 पृष्ठों को रंगने में अपने 10-12 साल लगा दिए। उनके इस कार्य ने न केवल काल के गर्त में खो जाने वाले हजारों फिल्मी गितों के अनमोल खजाने को हमेशा के लिए सुरक्षित कर दिया बल्कि देश-विदेश में फैली हिन्दी फिल्म संगीत प्रेमियों की इस तरह के गीतकोष को तैयार किए जाने की एक चिर प्रतीक्षित अभिलाषा को भी पूरा कर दिया।
चार विशाल खंडों में तैयार इस गीतकोष के पहले खण्ड में 1931 से 1940 के मध्य में निर्मित 931 फिल्मों के लगभग 9000 गीतों, दूसरे खण्ड में 1941 से 1950 के मध्य निर्मित 1236 फिल्मों के लगभग 11000 गीतों, तीसरे खण्ड में 1951 से 1960 के मध्य निर्मित 1163 फिल्मों के लगभग 9000 गीतों एवं चौथे खण्ड में 1961 से 1970 के मध्य निर्मित 1007 फिल्मों के लगभग 7000 गीतों को संकलित किया गया है। इस गीतकोष में न केवल 1931 से 1970 के मध्य निर्मित कुल 4337 फिल्मों के 36000 गीतों का उल्लेख है बल्कि वर्षानुक्रम में ???? का नाम, निर्माण संख्या व निदेशक का नाम, कलाकारों के नाम, गीतों के बोल, संगीतकार का नाम, रिकार्ड नम्बर आदि का समपूर्ण ब्यौरा दर्ज है। इस प्रकार यह गीतकोष न केवल गीतों का बल्कि हिन्दी फिल्मों के स्वर्णिम इतिहास का भी एक अनूठा दस्तावेज है।
Talat Geetkosh. Image Courtesy: Cinemaazi Archive
लगभग सात-सात सौ पृष्ठों के पहले, दूसरे और चैथे खण्ड की सजिल्ड पुस्तकों का मूल्य क्रमशः रु. 225/-, 200/- तथा 200/- प्रति हैं जबकि तीसरे खण्ड की सारी प्रतियां बिक चुकी हैं और उसके परिवर्द्धित संस्करण के प्रकाशन की तैयारी चल रही है।
कानपुर, दिल्ली और फिल्म नगरी बम्बई के बड़े प्रकाशन गृहों द्वारा ’फिल्मी गीतों’ से सम्बन्धित इन ग्रंथों के प्रकाशन में प्रारम्भ में किसी प्रकार की रुचि नहीं दिखाए जाने के कारण हरमंदिर के परिवार को ही इन ग्रंथों के प्रकाशन की जिम्मेदारी संभालनी पड़ी।
Part of Krishna Kumar Sharma's K K Talkies Series. The images in the article did not appear with the original and may not be reproduced without permission.