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Gaai Aur Gori (1973)

  • Release Date1973
  • GenreDrama
  • FormatColor
  • LanguageHindi
  • Run Time151
  • Length3851.95 metres
  • Number of Reels16
  • Gauge35mm
  • Censor Rating6764
  • Censor Certificate Number25/04/1988
  • Certificate Date25/04/1988
  • Shooting LocationVauhini
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मैं और मेरी गाय-दो शरीर एक प्राण। संकट में और सुखदुःख में दूसरों की मदद करना मुझे बहुत पसंद। इसलिए गाँव के लोग मुझसे इतना प्यार करते थे कि मुझे कभी अपने माँ-बाप की कमी का अनुभव ही नहीं हुआ। मानो मैं सारे गाँव की लाड़ली थी। मेरे ऐसे शांत और सुखमय जीवन में एक दिन अचानक एक तूफ़ान सा आ गया, एक जमींदार के आवारा बेटे अरूण के रूप में-

जी हाँ-मुझे शांत और सात्वीक जीवन बिल्कुल पसंद नहीं था। तुफ़ान और मस्तीभरी ज़िंदगी ही मेरा आदर्श था। सुन्दर लड़कियाँ मेरी सब से बड़ी कमजोरी थी। विजया जैसी सुंदर लड़की को देखकर भला अपनी जवानी के जोश को मैं कैसे रोक सकता था? मगर विजया कुछ अलग मिट्टी की बनी हुई साबित हुई। जहाँ शहर की फुलझड़ियाँ मेरा हाथ छूते ही मेरी गोद में आ के गिर जाती थीं, वहाँ यह गाँव की गोरी बारूद निकली। उसने मुझे जेल भिजवाके ही दम लिया। इससे मेरे स्वमान को चोट लगी। मेरी मर्दानगी को यह एक ललकार था। मैंने दिल ही दिल में प्रतिज्ञा कर ली कि, जैसे भी हो उस अभिमानी लड़की को मैं अपनी पत्नी बनाकर ही छोडू़ँगा। और मैं अपनी प्रतिज्ञा में सफल भी हुआ।

मैंने बहुत कोशिश की अपनी मालकिन को उस बदमाश,  आवारा लड़के से शादी करने से रोकने की। पर पता नहीं क्यों, विजया, जिसने कभी मेरी बातों का उल्लंघन नहीं किया, अब के हठ लेके बैठ गई। उसने मेरी बात मानी नहीं और उन दोनों की शादी हो गई।

इसके परिणाम-स्वरूप मुझे और उसे कैसी कैसी यातनाएँ, कितने कितने दुःख सहने पड़े और उस दुःख और यातनाओं के समुन्दर के बीच में से मेरी मालकिन की नाव कैसे पार लगी यह बयान करने के लिए मैं बेजुबान बिलकुल असमर्थ हूँ। इसलिए आप स्वयं ही देख लीजिए।

धडायुधपाणि फ़िल्म्स् कृत “गाय और गोरी” में।